सतरंगी छटा


बची हुई ऊन से इस कदर नमूना बन आएगा कल्पना से परे था |अपनी चुरू पोस्टिंग के दौरान बनाया वो भी केवल ट्रेन के चार घंटे के सफ़र में | सप्ताहांत में चार घंटे जाने के और चार घंटे आने के पर्याप्त थे बुनाई की तुष्टि के लिये | हर सलाई में १२ धागे चलते |कितनी भी सावधानी बरतती धागे उलझ ही जाते | इसलिए हर दो तीन सलाई के बाद ही सुलझा लेती | अलग-अलग थैली में रखने का नुस्खा भी कारगर नही हुआ| मुझे महसूस हुआ कि मैंने यह स्वेटर बनाते हुए बुना कम और सुलझाया ज्यादा है | पर आस्था ने पहना तो सतरंगी छटा धरती पर उतर आई |

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