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सबकी अपनी दुनिया है

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कविता सबकी अपनी दुनिया है सबकी अपनी दुनिया है पर साझी सबकी दुनिया है अलग अलग हैं रंग कूची में भांति भांति के भाव हैं मन में हल्के रंग से तुम रंग देना मेरी गाढी दुनिया है पर तस्वीर में साझी दुनिया है सबकी अपनी दुनिया है । पुर्व दिशा में मैं उड़ जाऊँ और पश्चिम में तुम विचरो उत्तर दक्षिण घूम के आओ दिन भर अपनी दुनिया है पर शाम को साझी दुनिया है सबकी अपनी दुनिया है l तानपुरा सप्तक में बोले तबला ताक धिना धिन बोले पूंगी बाजा स्वर में घोले हर साज की अपनी दुनिया है पर गीतों की साझी दुनिया है सबकी अपनी दुनिया है । पर साझी सबकी दुनिया है संगीता सेठी