दिला देगा मोक्ष मुझे
मैं पाताल लोक में
डूब रही थी
मछलियों के डर से
दुबक रही थी
खा जाएंगी
किसी भी वक्त
मगरमच्छ सी दुनिया
निगल लेगी
समूचा मुझे
कि वो देवदूत सा
ले आया घसीट कर
जमीन पर
फूली हैं सांसे मेरी
भरा है पानी
मेरे फेफड़ों में
उम्मीद है बचा ही लेगा
मुझको मरने से वो
मैं धरती के जंगलों में
भटक रही थी
जानवरो के भय से
दुबक रही थी
झाड़ियों के पीछे
खा ही जाएगी
सिंह सी दुनिया
किसी भी वक्त
उधेड़ देगी देह मेरी
कि वो देवदूत सा
उड़ा लाया है
आसमान में
जहाँ विचर रही हूँ
हवा सी मैं
उम्मीद है दिला ही देगा
मोक्ष मुझे
ले जाएगा
ब्रह्मांड के पार वो !
nice one
ReplyDeleteशुक्रिया@
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