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Showing posts from August, 2012

मैं मेंहंदी

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मैं इक निकी जी पत्ती  खोरे केडे बूते दी  उड़ के पई सी  धरती ते  सुक के तीला  हो जाणा सी  ख़ाक हो जाणा सी  मिट्टी नाल  रब्ब ने आके चुकया  पीसया वटयाँ  नाल  दर्द दी हूक उठी भावें  पर गीली होके  खिली सी  मैं  रब्ब ने ही खोरे हत्थां ते  रख दित्ता  फुल  ते बूट्यां नाल  लाल निकल आई  हाँ ! मैं मैहन्दी जे सी  खोरे उसे बूटे दी 

की होंदी ए आज़ादी

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रब्ब जी ! दसो ना सानू की होंदी ए आज़ादी कि  चिड़िया नू दे दो पंख या कि  पंखा नू दे दो आसमान रब्ब जी! दसो ना सानू की होंदी ए आज़ादी कि वगा दो दरिया ज़मी ते या कि  दरिया नू दे दो समंदर रब्ब जी ! दसो ना सानू की होंदी ए आज़ादी कि दिल विच पा दयो रूह या कि तन चौ कर दो मुक्त रूह

एक पंजाबी कविता

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इक दिल सी टूट्या भजया लहू विच भिजया सुइयां नाल भेदया धाग्या नाल छिलया रब्ब  ने आके हत्था नाल चुक्या मारियाँ फूँका हौले-हौले अथ्रुआ नाल सी दीतिया सारियाँ सीणा चुक के ला लिता  अपणे दिल नाल पंजाबी कविता