सृष्टि बोस्टन और मफलर

जब मुझे खबर मिली कि मेरी बेटी सृष्टि बोस्टन से चलकर अम्बिकापुर से केवल दो दिन के लिये आने वाली है तो मुझे समझ मे नही आ रहा था कि उसके लिये क्या गिफ्ट जुटाऊँ । फिर मुझे आइडिया सूझा कि हाथ से  एक मफलर बुन कर दे दूँ । उधेड़ बुन में दिन निकलते जा रहे थे । अनत: ऊन खरीदी गई ऑफ वाइट रंग की  और दूसरा रंग ग्रे लिया गया । पर दिन कम थे सो मैंने क्रोशिये से बुनने का फैसला किया । उसे कुछ अलग रूप देने के लिये किनारे सलाइयों से बुने और उस पर नाम उकेर दिया सृष्टि । दूसरे तरफ बॉस्टन तीसरी और चौथी तरफ एम.आई टी.| एक हफ्ता उसके आने में शेष था और मेरी उंगलियाँ तेजी से चल रही थी । आखिर बन ही गया मफलर । सबसे खुशी की बात यह थी कि उसे पसन्द आया । बॉस्टन जाकर उसने मुझे अपने  जन्मदिन पर कहा –“माँ ! आज आपका बुना मफलर पहन कर जा रही हूँ मुझे लगा मेरा बुनना सार्थक हो गया |




Comments

Post a Comment