रब्ब जी ! दसो ना सानू
की होंदी ए आज़ादी
कि चिड़िया नू दे दो पंख
या कि
पंखा नू दे दो
आसमान
रब्ब जी!
दसो ना सानू
की होंदी ए आज़ादी
कि वगा दो दरिया ज़मी ते
या कि दरिया नू दे दो समंदर
रब्ब जी !
दसो ना सानू
की होंदी ए आज़ादी
कि दिल विच पा दयो रूह
या कि तन चौ कर दो मुक्त
रूह
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