वो सतरंगी स्वेटर

















2006 में हम लद्दाख गए तो यह सोचा नहीं था कि वो मेरी निटिंग का ऐतिहासिक ट्रिप बन जाएगा | मैं हमेशा की तरह अपनी उन सलाई तो लेकर ही गयी थी | वहाँ एक दिन बाज़ार में इन्द्रधनुषी स्वेटर देखा कर मन मचल गया | पास जाकर देखा तो हाथ का बना हुआ था | मैंने उन की दूकान की खोज की | वोव ! वहातो वही सात रंग के उन थी | मैंने झट से इ ली | और घर पहुंचाते ही सबसे पहले आस्था का स्वेटर बनाया जो सबको बेहद पसंद आया |

अब मुझे इश्वर की कृपा का नहीं मालूम था कि २००८ में स्पंदन आया | और फिर क्या था मैंने उस बची हुई लद्दाखी ऊन का स्वेटर बनाया | हुड वाला यह स्वेटर मेरे लिए अमूल्य था | जो बाद में बिंदिया पत्रिका में प्रकाशित हुआ |

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