
तू जो भी है
देह-विदेह
आकार-निराकारदेह-विदेह
जड़-चेतन
मूर्त-अमूर्त
प्रतिमा-कौशल
तू जो भी है
ईश्वर- इबादत
आशा-आकाश
संज्ञा-शून्य
इंसान-खिलौना
सागर-रेत
तो जो भी है
प्रारब्ध-विराम
आज्ञा-उपेक्षा
मुहब्बत-नफ़रत
हिन्दू-मुस्लिम
दोस्त-दुश्मन
तू जो भी है
मुस्कान-अवसाद
खुशी-गम
आशा-नैराश्य
किरण-सुरंग
राह-मंजिल
तू जो भी है
शब्द-निःशब्द
विस्तार-क्षितिज
सितारा-आकाश गंगा
अणु-ब्रह्माण्ड
मै-सर्वस्व
तुझे जाने बिना करती हूँ
बेपनाह-मुहब्बत
पावनअनुराग
अथाह-प्यार
अलौकिक-प्रीती
सूफियाना -प्रेम
नहीं है मुझे तुझसे
आशा-आकांक्षा
अपेक्षा-उम्मीद
इच्छा-चाह
लालसा-वांछा
अभिलाषा-कामना
संगीता जी, बहुत ही सुन्दर रचना है, आपने लिखना क्यों बंद कर दिया, आप ब्लोग्वानी और छिठाजगत पर पंजीकरण करवा ले ये निशुल्क है, अपने ब्लॉग को इनसे जोड़ दें जिससे की ज्यादा लोग आप की रचनाओं को पढ़ पाएँगे, कोई परेशानी हो तो मेल कीजियेगा!!
ReplyDeleteशब्दों की नायाब कारीगरी को एक नई सोच के साथ प्रस्तुत किया है आपने. सुन्दर अभिव्यक्ति
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